Panchayat Season 4 Review: फुलेरा की चुनावी पिच निकली फ्लैट, बनराकस के सामने सचिव जी की मंडली फेल

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Panchayat Season 4 Review: गांव फुलेरा की अतरंगी कहानी के साथ टीवीएफ (TVF) पंचायत सीजन 4 को लेकर लौट आया है। जिसका इंतजार हम सब कर रहें थे, लेकिन इस सीजन को शुरुआत के कुछ दिन हीं देखा जाएगा, उसके बाद जैसे जैसे review आयेगा वैसे वैसे इसका प्रकोप संत होता दिखेगा।

इस सेशन में प्रधान पति पर गोली किसने चलवाई और फुलेरा के ग्राम पंचायत चुनावी रण में मंजू देवी और क्रांति देवी में से कौन जीत का परचम लहराएगा, जैसे कई सवाल लेकर सीरीज का चौथा सीजन आया है। इस बार पंचायत में क्या अच्छा और क्या खराब है, इसको जानने के लिए हम आपके लिए Panchayat Season 4 का फुल रिव्यू लेकर आए हैं।

Panchayat Season 4 – Quick Overview

रेटिंगरिलीज़ डेटप्लेटफ़ॉर्मकलाकारनिर्देशक
2/5 ★★☆☆☆24 जून 2025Amazon Prime Videoजितेंद्र कुमार, रघुवीर यादव, फैसल मलिक, नीना गुप्ता, चंदन रॉय, सुनीता राजभर, सनविका, दुर्गेश कुमार, अशोक पाठकदीपक कुमार मिश्रा, अक्षत विजयवर्गीय

Panchayat Season 4 कहानी (Plot & Pacing)

गांव फुलेरा की अतरंगी कहानी और चुनावी रणधुनी लेकर लौटे Panchayat सत्र 4 में प्लॉट धीमी गति से चलता है। 8 एपिसोड के दौरान कहानी बार-बार धीमी पड़ती है — जैसे कि फुलेरा की गाड़ी मंजिल तक धीरे-धीरे खींची जा रही हो।

प्रधान पति पर गोली – क्या रहस्य खुल पाया?

प्रधान पति (रघुवीर यादव) पर कौन गोली चलवाया: विधायक जी (पंकज झा) या कोई और — इस सस्पेंस को मिड सीजन में रखा गया है, लेकिन देरी के कारण इसका असर कम होता दिखा।

चुनावी राजनीति – बनराकस बनाम क्रांति देवी

फुलेरा पंचायत के चुनावी रण में बनराकस (दुर्गेश कुमार और क्रांति देवी/सुनीता राजभर) का सचिव जी और बाकी मंडली पर दबदबा बनाने की कोशिश रोमांचक है, लेकिन कहानी में उतना पावर नहीं आता जितना उम्मीद थी।

साइड किरदारों का जलवा

अगर Panchayat 4 की सबसे बड़ी कामयाबी देखनी हो तो वो हैं साइड किरदार — विनोद (अशोक पाठक), रिंकी (सनविका), माधव (बुल्लो कुमार)। खासकर विनोद ने शानदार अभिनय से बुंदल बांधा, सचिव जी समेत कई किरदारों पर भारी पड़े।

तकनीकी पक्ष – सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर

दृश्यों का निर्माण बेहतर है: फुलेरा की ग्रामीण पृष्ठभूमि अच्छी तरह उभरी, साथ ही बैकग्राउंड संगीत ने कहानी को बोर नहीं होने दिया। तकनीकी पक्ष में कमी नहीं, लेकिन जरूर दम नहीं था।

तुलना पिछले सीजन से

पिछले तीनों सीजन में Panchayat का स्वैग और रफ्तार अच्छी थी। लेकिन चौथे सीजन में निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा की कहानी हल्की लगती है — बाउंड्री पर टिकने में सफल नहीं हुई।

FAQs (Common Queries)

Q: क्या अब भी पंचायत में सस्पेंस और रोमांच रहेगा? 

A: हां, लेकिन धीमी कहानी के कारण उसका असर कुछ कम हो गया है।

Q: फुलेरा के चुनावी नाटक से क्या इंटरटेनमेंट मिलता है? 

A: पार्टिकुलर सस्पेंस और रूमिनेशन मिलता है, लेकिन तेज़ कहानी नहीं मिलती।

Q: क्या पाँचवां सीजन आएगा? 

A: हां, Panchayat 4 का अंत चुनाव और सचिव जी के MBA रिजल्ट जैसे सवाल छोड़कर होता है — जिससे यह स्पष्ट है कि पंचायती जंग जारी रहेगी।

निष्कर्ष (Conclusion)

Panchayat Season 4 का पहला आधा तो औसत है, लेकिन साइड कैरेक्टर्स की दमदार एंट्री थोड़ी जान डाल देती है। कुल मिलाकर 2/5 स्टार — कमज़ोर कहानी, धीमी कथा और मजबूत किरदारों का मिक्स। अगर आपने पिछले सीजन देखे हैं और यह आराम से सब देखना चाहते हैं तो इसे ट्राई कर सकते हैं, लेकिन पंचायती रंग का असली मज़ा नहीं मिलता।

क्या आप Panchayat 4 देख चुके हैं? कमेंट सेक्शन में अपनी राय जरूर लिखें!

Subhash Kumar

Subhash Kumar

           मैं Gyantap.com का संस्थापक और एक डिजिटल पत्रकार हूँ। पिछले 5 वर्षों से शिक्षा, सरकारी योजना और तकनीकी खबरों पर सरल भाषा में विश्वसनीय जानकारी लोगों तक पहुँचा रहा हूँ। आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं: info@gyantap.com

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